
शक्ति-तीन सप्तमातृका शिव ( परम सत्य ) राक्षस अंधक ( लोभ - मोह आदि ) पर प्रहार करते। प्रहार से लगने वाले घाव से रक्त टपकता। उस टपके हुए रक्त के एक - एक बूंद से अंधक का एक - एक प्रतिरूप खड़ा हो जाता। युद्ध के मैदान में अनगिनत अंधक के आ जाने से शिव के लिए युद्ध कर पाना कठिन होता गया। चिंतित देवताओं ने शिव की सहायता के लिए अपनी - अपनी शक्ति को रणक्षेत्र में भेजा। इन्हीं शक्तियों को मातृका कहा जाता है। ये मातृकाएं अंधक के रक्त को भूमि पर गिरने से रोकती रहीं। इस तरह प्रतिरूपी अंधक को युद्ध के मैदान में आने से रोका गया , और इन मातृकाओं की सहायता से शिव ने उस राक्षस पर विजय पायी। यह कथा देवीभागवत पुराण में आयी है। देवीभागवत ही सबसे प्राचीन ग्रंथ है जिससे सप्तमातृकाओं के बारे में जानकारी मिलती है। विष्णुधर्मोत्तर पुराण सप्तमातृकाओं के साथ ही अन्य देवताओं के चित्रांकन...